बंधुओँ धन्ऩा भगतजी ईश्वर भक्ति की एक
अनुपम मिशाल थे। कहते है उनका खेत स्वँय
भगवान ने जौता था। उनके बारे मेँ विस्तृत
जानकारी तो उपलब्ध नहीँ हो पायी। मगर
जितना हो सके बता रहा हुँ।
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जन्म -बैशाख सुदी तीज 1472
जन्मस्थान- धुवनकलां गाँव, टोँक
गौत्र- हरछतवाल जाट
पिताजी- रामेश्वरजी
माता- गंगाबाई
ननिहाल गौत्र- गढवाल जाट
ससुराल गौत्र- कैरु जाट
गुरु- रामानंद जी
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धना भगत रामानंद जी के शिष्य थे जिन्होने
वैष्णव धर्म का प्रतिपादन किया। धना भगतजी ने
धनावंशी वैष्णव(स्वामी) पंथ चलाया। जिसके
अधिकांश अनुयायी जाट थे।और
धनावंशी स्वामी समाज की गौत्रेँ भी जाट
गौत्रोँ के समान ही है।
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"धन्ऩा जाट को हरी सुँ हेत,
बिना बीज के निपज्या खेत"
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धन्य हो धन्ऩाजी भगत
JAT - PRIDE OF THE WORLD "विश्व गौरव जाटों की संस्कृति,इतिहास,परंपरा और समाचारों का साझा ब्लॉग (चिट्ठा)"
रविवार, 18 अगस्त 2013
जाट-गौरव, अमर क्षत्रिय, गौरक्षक वीर श्री बिग्गाजी महाराज
परिचय:
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जन्म- वि.सं 1358(1301ईँ)
जन्मस्थान- रीङीग्राम, श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
गौत्र- जाखङ जाट
दादा-लाखोजी
पिता-मेहन्दजी
माता-सुलतानी देवी
नाना-चूहङजी गौदारा
ननिहाल- कपूरीसर
बहन-हरियाबाई
पत्नियाँ -राजकुँवर व मीराँ
निर्वाण- बैशाख सुदी तीज 1393 (1336ई)
मँदिर- बिग्गाग्राम व रीङी श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
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कहा जाता है की वीर बिग्गाजी अपने साले की शादी मेँ गये हुए थे तब वहाँ कुछ ब्राह्मण स्त्रीयोँ ने आकर उनसे अपनी गाये राठ मुसलमानोँ से मुक्त करवाने की प्राथना की।
बिग्ग़ाजी युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए ,मगर उन्होने गौमाताऔँ को मुक्त करवा लिया।
उनका धङ जहाँ गिरा वहाँ उनकी देवली प्रकट हुई। यह स्थान आज बिग्गा कहलाता है ,जहाँ प्रत्येक वर्ष आसौज माह मेँ विशाल मेला भरता है।
गौरक्षक कुलगौरव वीर बिग्गाजी महाराज को शत शत नमन.....
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जन्म- वि.सं 1358(1301ईँ)
जन्मस्थान- रीङीग्राम, श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
गौत्र- जाखङ जाट
दादा-लाखोजी
पिता-मेहन्दजी
माता-सुलतानी देवी
नाना-चूहङजी गौदारा
ननिहाल- कपूरीसर
बहन-हरियाबाई
पत्नियाँ -राजकुँवर व मीराँ
निर्वाण- बैशाख सुदी तीज 1393 (1336ई)
मँदिर- बिग्गाग्राम व रीङी श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
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कहा जाता है की वीर बिग्गाजी अपने साले की शादी मेँ गये हुए थे तब वहाँ कुछ ब्राह्मण स्त्रीयोँ ने आकर उनसे अपनी गाये राठ मुसलमानोँ से मुक्त करवाने की प्राथना की।
बिग्ग़ाजी युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए ,मगर उन्होने गौमाताऔँ को मुक्त करवा लिया।
उनका धङ जहाँ गिरा वहाँ उनकी देवली प्रकट हुई। यह स्थान आज बिग्गा कहलाता है ,जहाँ प्रत्येक वर्ष आसौज माह मेँ विशाल मेला भरता है।
गौरक्षक कुलगौरव वीर बिग्गाजी महाराज को शत शत नमन.....
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