परिचय:
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जन्म- वि.सं 1358(1301ईँ)
जन्मस्थान- रीङीग्राम, श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
गौत्र- जाखङ जाट
दादा-लाखोजी
पिता-मेहन्दजी
माता-सुलतानी देवी
नाना-चूहङजी गौदारा
ननिहाल- कपूरीसर
बहन-हरियाबाई
पत्नियाँ -राजकुँवर व मीराँ
निर्वाण- बैशाख सुदी तीज 1393 (1336ई)
मँदिर- बिग्गाग्राम व रीङी श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
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कहा जाता है की वीर बिग्गाजी अपने साले की शादी मेँ गये हुए थे तब वहाँ कुछ ब्राह्मण स्त्रीयोँ ने आकर उनसे अपनी गाये राठ मुसलमानोँ से मुक्त करवाने की प्राथना की।
बिग्ग़ाजी युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए ,मगर उन्होने गौमाताऔँ को मुक्त करवा लिया।
उनका धङ जहाँ गिरा वहाँ उनकी देवली प्रकट हुई। यह स्थान आज बिग्गा कहलाता है ,जहाँ प्रत्येक वर्ष आसौज माह मेँ विशाल मेला भरता है।
गौरक्षक कुलगौरव वीर बिग्गाजी महाराज को शत शत नमन.....
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जन्म- वि.सं 1358(1301ईँ)
जन्मस्थान- रीङीग्राम, श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
गौत्र- जाखङ जाट
दादा-लाखोजी
पिता-मेहन्दजी
माता-सुलतानी देवी
नाना-चूहङजी गौदारा
ननिहाल- कपूरीसर
बहन-हरियाबाई
पत्नियाँ -राजकुँवर व मीराँ
निर्वाण- बैशाख सुदी तीज 1393 (1336ई)
मँदिर- बिग्गाग्राम व रीङी श्रीडुँगरगढ,बीकानेर!
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कहा जाता है की वीर बिग्गाजी अपने साले की शादी मेँ गये हुए थे तब वहाँ कुछ ब्राह्मण स्त्रीयोँ ने आकर उनसे अपनी गाये राठ मुसलमानोँ से मुक्त करवाने की प्राथना की।
बिग्ग़ाजी युद्ध मे वीरगति को प्राप्त हुए ,मगर उन्होने गौमाताऔँ को मुक्त करवा लिया।
उनका धङ जहाँ गिरा वहाँ उनकी देवली प्रकट हुई। यह स्थान आज बिग्गा कहलाता है ,जहाँ प्रत्येक वर्ष आसौज माह मेँ विशाल मेला भरता है।
गौरक्षक कुलगौरव वीर बिग्गाजी महाराज को शत शत नमन.....
DADA KI JAI HO
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