रविवार, 22 सितंबर 2013

JAAT

स्वयं को महान् कहने से कोई महान् नहीं बनता । महान्
किसी भी व्यक्ति व कौम को उसके महान् कारनामे बनाते
हैं और उन कारनामों को दूसरे लोगों को देर-सवेर स्वीकार
करना ही पड़ता है। देव-संहिता को लिखने वाला कोई
जाट नहीं था, बल्कि एक ब्राह्मणवादी था जिसके हृदय में
इन्सानियत थी उसने इस सच्चाई को अपने हृदय
की गहराई से शंकर और पार्वती के संवाद के रूप में बयान
किया कि जब पार्वती ने शंकर जी से पूछा कि ये जाट कौन
हैं, तो शंकर जी ने इसका उत्तर इस प्रकार दिया -
महाबला महावीर्या महासत्यपराक्रमा ः |
सर्वांगे क्षत्रिया जट्टा देवकल्पा दृढ़व्रताः ||15||
(देव संहिता)
अर्थात् - जाट महाबली, अत्यन्त वीर्यवान् और प्रचण्ड
पराक्रमी हैं । सभी क्षत्रियों में यही जाति सबसे पहले
पृथ्वी पर शासक हुई । ये देवताओं की भांति दृढ़
निश्चयवाले हैं । इसके अतिरिक्त विदेशी व
स्वदेशी विद्वानों व महान् कहलाए जाने वाले
महापुरुषों की जाट कौम के प्रति समय-समय पर दी गई
अपनी राय और टिप्पणियां हैं जिन्हें कई पुस्तकों से संग्रह
किया गया है लेकिन अधिकतर
टिप्पणियां अंग्रेजी की पुस्तक हिस्ट्री एण्ड स्टडी ऑफ
दी जाट्स से ली गई है जो कनाडावासी प्रो० बी.एस.
ढ़िल्लों ने विदेशी पुस्तकालयों की सहायता लेकर लिखी है
-
1. इतिहासकार मिस्टर स्मिथ - राजा जयपाल एक महान्
जाट राजा थे । इन्हीं का बेटा आनन्दपाल हुआ जिनके बेटे
सुखपाल राजा हुए जिन्होंने मुस्लिम धर्म अपनाया और
‘नवासशाह’ कहलाये । (यही शाह मुस्लिम जाटों में एक
पदवी प्रचलित हुई । भटिण्डा व अफगानिस्तान का शाह
राज घराना इन्हीं के वंशज हैं - लेखक) ।
2. बंगला विश्वकोष - पूर्व सिंध देश में जाट गणेर प्रभुत्व
थी । अर्थात् सिंध देश में जाटों का राज था ।
3. अरबी ग्रंथ सलासीलातुत तवारिख - भारत के नरेशों में
जाट बल्हारा नरेश सर्वोच्च था । इसी सम्राट् से
जाटों में बल्हारा गोत्र प्रचलित हुआ - लेखक ।
4. स्कैंडनेविया की धार्मिक पुस्तक एड्डा - यहां के
आदि निवासी जाट (जिट्स) पहले आर्य कहे जाते थे
जो असीगढ़ के निवासी थे ।
5. यात्री अल बेरूनी - इतिहासकार - मथुरा में वासुदेव से
कंस की बहन से कृष्ण का जन्म हुआ । यह परिवार जाट
था और गाय पालने का कार्य करता था ।
6. लेखक राजा लक्ष्मणसिंह - यह प्रमाणित सत्य है
कि भरतपुर के जाट कृष्ण के वंशज हैं ।
इतिहास के संक्षिप्त अध्ययन से मेरा मानना है
कि कालान्तर में यादव अपने को जाट कहलाये जिनमें
एकजुट होकर लड़ने और काम करने की प्रवृत्ति थी और
अहीर जाति का एक बड़ा भाग अपने को यादव कहने लगा ।
आज भी भारत में बहुत अहीर हैं जो अपने को यादव
नहीं मानते और गवालावंशी मानते हैं ।
7. मिस्टर नैसफिल्ड - The Word Jat is nothing
more than modern Hindi Pronunciation of
Yadu or Jadu the tribe in which Krishna was
born. अर्थात् जाट कुछ और नहीं है बल्कि आधुनिक
हिन्दी यादू-जादु शब्द का उच्चारण है, जिस कबीले में
श्रीकृष्ण पैदा हुए।
दूसरा बड़ा प्रमाण है कि कृष्ण जी के गांव नन्दगांव व
वृन्दावन आज भी जाटों के गांव हैं । ये सबसे बड़ा भौगोलिक
और सामाजिक प्रमाण है । (इस सच्चाई को लेखक ने स्वयं
वहां जाकर ज्ञात किया ।)
8. इतिहासकार डॉ० रणजीतसिंह - जाट तो उन
योद्धाओं के वंशज हैं जो एक हाथ में रोटी और दूसरे हाथ में
शत्रु का खून से सना हुआ मुण्ड थामते रहे ।
9. इतिहासकार डॉ० धर्मचन्द्र विद्यालंकार - आज
जाटों का दुर्भाग्य है कि सारे संसार
की संस्कृति को झकझोर कर देने वाले जाट आज
अपनी ही संस्कृति को भूल रहे हैं ।
10. इतिहासकार डॉ० गिरीशचन्द्र द्विवेदी -
मेरा निष्कर्ष है कि जाट संभवतः प्राचीन सिंध
तथा पंजाब के वैदिक वंशज प्रसिद्ध लोकतान्त्रिक
लोगों की संतान हैं । ये लोग महाभारत के युद्ध में
भी विख्यात थे और आज भी हैं ।
11. स्वामी दयानन्द महाराज आर्यसमाज के संस्थापक ने
जाट को जाट देवता कहकर अपने प्रसिद्ध ग्रंथ
सत्यार्थप्रकाश में सम्बोधन किया है । देवता का अर्थ है
देनेवाला । उन्होंने कहा कि संसार में जाट जैसे पुरुष
हों तो ठग रोने लग जाएं ।
12. प्रसिद्ध राजनीतिज्ञ तथा हिन्दू विश्वविद्यालय
बनारस के संस्थापक महामहिम मदन मोहन मालवीय ने
कहा - जाट जाति हमारे राष्ट्र की रीढ़ है । भारत
माता को इस वीरजाति से बड़ी आशाएँ हैं । भारत
का भविष्य जाट जाति पर निर्भर है ।
13. दीनबन्धु सर छोटूराम ने कहा - हे ईश्वर, जब
भी कभी मुझे दोबारा से इंसान जाति में जन्म दे तो मुझे
इसी महान् जाट जाति के जाट के घर जन्म देना ।
14. मुस्लिमों के पैगम्बर हजरत मुहम्मद साहब ने कहा - ये
बहादुर जाट हवा का रुख देख लड़ाई का रुख पलट देते हैं ।
(सलमान सेनापतियों ने भी इनकी खूब
प्रतिष्ठा की इसका वर्णन मुसलमानों की धर्मपुस्तक
हदीस में भी है - लेखक) ।
15. हिटलर (जो स्वयं एक जाट थे), ने कहा - मेरे शरीर में
शुद्ध आर्य नस्ल का खून बहता है । (ये वही जाट थे
जो वैदिक संस्कृति के स्वस्तिक चिन्ह (卐) को जर्मनी ले गये
थे - लेखक)।
16. कर्नल जेम्स टॉड राजस्थान इतिहास के रचयिता ।
(i): उत्तरी भारत में आज जो जाट किसान खेती करते पाये
जाते हैं ये उन्हीं जाटों के वंशज हैं जिन्होंने एक समय मध्य
एशिया और यूरोप को हिलाकर रख दिया था ।
(ii): राजस्थान में राजपूतों का राज आने से पहले
जाटों का राज था ।
(iii): युद्ध के मैदान में जाटों को अंग्रेज पराजित नहीं कर
सके ।
(iv): ईसा से 500 वर्ष पूर्व जाटों के नेता ओडिन ने
स्कैण्डेनेविया में प्रवेश किया।
(v): एक समय राजपूत जाटों को खिराज (टैक्स) देते थे ।
17. यूनानी इतिहासकार हैरोडोटस ने लिखा है
(i) There was no nation in the world equal to
the jats in bravery provided they had unity
अर्थात्- संसार में जाटों जैसा बहादुर कोई नहीं बशर्ते
इनमें एकता हो । (यह इस प्रसिद्ध यूनानी इतिहासकार
ने लगभग 2500 वर्ष पूर्व में कहा था । इन दो लाइनों में
बहुत कुछ है । पाठक कृपया इसे फिर एक बार पढें । यह
जाटों के लिए मूलमंत्र भी है – लेखक )
(ii) जाट बहादुर रानी तोमरिश ने प्रशिया के महान
राजा सायरस को धूल चटाई थी ।
(iii) जाटों ने कभी निहत्थों पर वार नहीं किया ।
18. महान् सम्राट् सिकन्दर जब जाटों के बार-बार
आक्रमणों से तंग आकर वापिस लौटने लगे तो कहा- इन
खतरनाक जाटों से बचो ।
19. एक पम्पोनियस नाम के प्राचीन इतिहासकार ने
कहा - जाट युद्ध तथा शत्रु की हत्या से प्यार करते हैं ।
20. हमलावर तैमूरलंग ने कहा - जाट एक बहुत ही ताकतवर
जाति है, शत्रु पर टिड्डियों की तरह टूट पड़ती है,
इन्होंने मुसलमानों के हृदय में भय उत्पन्न कर दिया।
21. हमलावर अहमदशाह अब्दाली ने कहा - जितनी बार
मैंने भारत पर आक्रमण किया, पंजाब में खतरनाक जाटों ने
मेरा मुकाबला किया । आगरा, मथुरा व भरतपुर के जाट
तो नुकीले काटों की तरह हैं ।
22. एक प्रसिद्ध अंग्रेज मि. नेशफील्ड ने कहा - जाट एक
बुद्धिमान् और ईमानदार जाति है ।
23. इतिहासकार सी.वी. वैद ने लिखा है - जाट जाति ने
अपनी लड़ाकू प्रवृत्ति को अभी तक कायम रखा है ।
(जाटों को इस प्रवृत्ति को छोड़ना भी नहीं चाहिए,
यही भविष्य में बुरे वक्त में काम भी आयेगी - लेखक)
24. भारतीय इतिहासकार शिवदास गुप्ता - जाटों ने
तिब्बत,यूनान, अरब, ईरान, तुर्कीस्तान, जर्मनी,
साईबेरिया, स्कैण्डिनोविया, इंग्लैंड, ग्रीक, रोम व
मिश्र आदि में कुशलता, दृढ़ता और साहस के साथ राज
किया । और वहाँ की भूमि को विकासवादी उत्पादन के
योग्य बनाया था । (प्राचीन भारत के उपनिवेश
पत्रिका अंक 4.5 1976)
25. महर्षि पाणिनि के धातुपाठ (अष्टाध्यायी) में - जट
झट संघाते - अर्थात् जाट जल्दी से संघ बनाते हैं ।
(प्राचीनकाल में खेती व लड़ाई का कार्य अकेले
व्यक्ति का कार्य नहीं था इसलिए यह जाटों का एक
स्वाभाविक गुण बन गया - लेखक)
26. चान्द्र व्याकरण में - अजयज्जट्टो हूणान् अर्थात्
जाटों ने हूणों पर विजय पाई ।
27. महर्षि यास्क - निरुक्त में - जागर्ति इति जाट्यम् -
जो जागरूक होते हैं वे जाट कहलाते हैं ।
जटायते इति जाट्यम् - जो जटांए रखते हैं वे जाट कहलाते हैं

28. अंग्रेजी पुस्तक Rise of Islam - गणित में शून्य
का प्रयोग जाट ही अरब से यूरोप लाये थे । यूरोप के स्पेन
तथा इटली की संस्कृति मोर जाटों की देन थी ।
29. अंग्रेजी पुस्तक Rise of Christianity - यूरोप के
चर्च नियमों में जितने भी सुधार हुए वे सभी मोर जाटों के
कथोलिक धर्म अपनाये जाने के बाद हुए, जैसे कि पहले
विधवा को पुनः विवाह करने की अनुमति नहीं थी आदि-
आदि । मोर जाटों को आज यूरोप में ‘मूर बोला जाता है –
लेखक ।
30. दूसरे विश्वयुद्ध में जर्मनी की हार पर जर्मन जनरल
रोमेल ने कहा- काश, जाट सेना मेरे साथ होती । (वैसे जाट
उनके साथ भी थे, लेकिन
सहयोगी देशों की सेना की तुलना में बहुत कम थे
- लेखक)
31. सुप्रसिद्ध अंग्रेज योद्धा जनरल एफ.एस. यांग - जाट
सच्चे क्षत्रिय हैं । ये बहादुरी के साथ-साथ सच्चे,
ईमानदार और बात के धनी हैं ।
32. महाराजा कृष्णसिंह भरतपुर नरेश ने सन् 1925 में
पुष्कर में कहा - मुझे इस बात पर अभिमान है कि मेरा जन्म
संसार की एक महान् और बहादुर जाति में हुआ ।
33. महाराजा उदयभानुसिंह धोलपुर नरेश ने सन् 1930 में
कहा- मुझे पूरा अभिमान है कि मेरा जन्म उस महान् जाट
जाति में हुआ जो सदा बहादुर, उन्नत एवं उदार
विचारों वाली है । मैं
अपनी प्यारी जाति की जितनी भी सेवा करूँगा उतना ही
सच्चा आनन्द आयेगा ।
34. डॉ. विटरेशन ने कहा - जाटों में चालाकी और
धूर्तता,योग्यता की अपेक्षा बहुत कम होती है ।

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