रविवार, 22 सितंबर 2013

Jivan Parichay - Svatantrata Sainani Shri Banna Ram Jakhar

बनाराम जाखड़ (1918 - 2004) (Bana Ram Jakhar) का जन्म राजस्थान के बाड़मेर जिले की बायतू तहसील के काऊ का खेड़ा (छीतर का पार) गाँव में मार्च 1918 को नाथाराम जाखड़ और वीरों देवी धतरवाल के घर हुआ.

14 वर्ष की अवस्था में ही कठिन पारिवारिक परिस्थितियों को देखते हुए पाकिस्तान के सिंध प्रान्त में मजदूरी करने गए. वहां आपने मीरपुरख़ास तथा अन्य स्थानों पर मजदूरी की. उसी समय जोधपुर से सिंध तक रेल लाइन बिछाने का काम प्रारंभ हुआ तो सिंध प्रान्त रेलवे में 5 वर्ष तक नौकरी की.
11 अक्टूबर 1941 को आपका चयन जोधपुर सरदार रेजिमेंट में हो गया. द्वितीय विश्व युद्ध में आपने इटली, जर्मनी तथा अफ्रीका के देशों में भाग लिया. इटली, जर्मनी में आपने देखा कि वहां के लोगों का जीवन स्तर मारवाड़ के लोगों से कई गुना अच्छा है, जिसका कारण शिक्षा है. 17 मई 1947 को सरदार रिसाला से स्वैच्छिक सेवानिवृति लेकर बाड़मेर आ गए. किसान केशरी बलदेवराम मिर्धा एवं मालानी में किसानों के रहनुमा रामदान चौधरी के निर्देश में समाज सुधार कार्य में जुट गए. उस समय जागीरदारी जुल्म अपनी चरम सीमा पर थे. बाड़मेर शहर में जाटों के सर छिपाने के लिए जगह नहीं थी. किसान छात्रावास बाड़मेर के लिए
घर-घर एवं गाँव-गाँव से एक-एक दो- दो आना तथा बाजरी एकत्रित की. किसान मसीहा रामदान चौधरी की प्रेरणा एवं उनके नेतृत्व में अमराराम सारण, बनाराम जाखड़, आईदानजी भादू, कानाराम डऊकिया, गंगाराम चौधरी, दाऊराम, किसना राम, ठेला राम, मगाराम खारा आदि ने किसान छात्रावास के लिए चंदा एकत्रित किया.

15 मार्च 1948 को जोधपुर में बलदेवराम मिर्धा ने एक विशाल किसान रैली आयोजन की घोषणा की. रैली का गाँव-गाँव प्रचार हुआ, पर्चे बांटे गए. मालानी में रामदान चौधरी के नेतृत्व में बनाराम जाखड़ एवं साथियों ने किसानों को रैली में आने के लिए समझाया. उस समय जागीरदारों का इतना आतंक था की वे किसान सभा के कार्यकर्त्ता से बात करने में ही कतराते थे.
 प्रथम पंचायती राज चुनाव में ग्राम छीतर का पार, चोखला, कोसरिया, हूडों की ढाणी के सरपंच पद पर रहे.बाद में बाड़मेर ग्रामीण लोक अदालत के चैअरमैन के पद पर चार साल रहे.
किसान सभा के कांग्रेस में विलय के बाद आप भी कांग्रेस में शामिल हो गए. पक्के सिद्धांत वादी बनाराम जाखड़ ने जाट समाज के उत्थान के लिए अपनी सारी ताकत झोंक दी. जागीर उन्मूलन आन्दोलन में किसान सभा के शीर्ष नेताओं का जो सहयोग बनाराम ने किया, वह मालाणी के इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाएगा.
बनाराम जाखड़ का निधन 18 सितम्बर 2004 को हुआ.

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