मंगलवार, 2 अगस्त 2016

ग्वालियर दुर्ग पर मराठों को हराकर काबिज हो गए गोहद के जाट राजा

मात्र एक हजार बंदूकधारी सैनिकों की सहायता से जब गोहद के जाट राजा भीम सिंह ने अजेय कहे जाने वाले ग्वालियर दुर्ग पर हमला बोला तो उस समय किले के चारों ओर घेरा डाले मराठा सैनिक भी उनका मुकाबला नहीं कर पाए। 
इतिहास में दर्ज है मराठों की यह हार.....

-यह घटना 1754 की है, जब मराठा सेनाएं दक्षिण की ओर लौट रही थीं। मराठा सेनापति विट्ठल विंचुरकर ने अपना पड़ाव ग्वालियर में डाला और दुर्ग को घेर लिया।
-उस समय मुगल शासक की ओर से किश्वर अली खान दुर्ग का किलेदार था। किश्वर अली ने अपने थोड़े से सैनिकों के साथ मराठों का मुकाबला किया।
-जब हालात नहीं संभले तो उसने गोहद के जाट राजा भीम सिंह से मदद मांगी। भीम सिंह अपने एक हजार बंदूकधारी सैनिकों को लेकर दुर्ग पर पहुंच गए।
-राजा भीम सिंह ने और बहादुरपुर गांव के पास मराठा सरदार विंचुरकर के ऊपर हमला बोल दिया।

हमले में पराजित हो गए मराठा
-इस हमले में आसपास के राजाओं ने भी भीम सिंह की मदद की औऱ मराठों को पीछे हटना पड़ा।
-कुछ महीनों तक जाट राजा भीम सिंह का दुर्ग पर कब्जा रहा।
-मराठा इस हार को पचा नहीं पाए। एक मराठा सरदार रघुनाथ राव दिल्ली से दक्षिण की ओर वापस आ रहे थे। उसी दौरान उन्होंने ग्वालियर दुर्ग को घेर लिया।

दूसरे युद्ध में हार गए जाट राजा
-जाट राजा भीम सिंह औऱ मराठों के बीच एक महीने तक घमासान युद्ध हुआ। इस बीच सालू गांव के पास भीम सिंह को पहले से ताक में बैठे मराठा सरदार विंचुरकर ने घेर लिया।
-इस युद्ध में भीम सिंह घायल हो गए। उनके अंगरक्षक जैसे-तैसे भीम सिंह को दुर्ग पर ले गए। यहां पर उनकी मौत हो गई। आज भी उनकी छत्री दुर्ग पर बनी हुई है।



कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें