मंगलवार, 9 अगस्त 2016

करमा बाई की भक्ति का प्रतीक प्रसिद्ध भजन

करमा बाई की भक्ति का प्रतीक प्रसिद्ध भजन


थाळी भरके ल्याई रे खीचड़ो, ऊपर घी की बाटकी।
जीमो म्हारा श्याम धणी, जीमावै बेटी जाट की।।
बाबो म्हारो गांव गयो है, कुण जाणै कद आवै लो।
बाबा कै भरोसै सांवरा, भूखो ही रह ज्यावै लो।।
आज जीमावूं तन्नैं खीचड़ो, काल राबड़ी छाछ की।
जीमो म्हारा श्याम धणी, जीमावै बेटी जाट की।।
बार-बार मंदिर नै जड़ती, बार-बार पट खोलती।
जीमै कयां कोनी सांवरा, करड़ी-करड़ी बोलती।।
तूं जीमै जद मैं जीमूं, मानूं न कोई लाट की।
जीमो म्हारा श्याम धणी, जीमावै बेटी जाट की।।
पड़दो भूल गई रे सांवरिया, पड़दो फेर लगायो जी।
धाबळिया कै ओलै, श्याम खीचड़ो खायो जी।।
भोळा भगतां सूं सांवरा, अतरी कांई आंट जी।
जीमो म्हारा श्याम धणी, जीमावै बेटी जाट की।।
भक्त हो तो करमा जैसी, सांवरियो घर आयो जी।
भाई लोहाकर, हरख-हरख जस गायो जी।।
सांचो प्रेम प्रभु में हो तो, मुरती बोलै काठ की।
जीमो म्हारा श्याम धणी, जीमावै बेटी जाट की।।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें